नई दिल्ली 19 जुलाई 2018 । आज शुरु हुए मानसून सत्र के साथ ही मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा भी शुरू हो गई है। दरअसल लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ दिए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। लोकसभा अध्यक्ष ने 50 से ज्यादा सांसदों के समर्थन की गिनती की और आगे चर्चा के लिए वक्त तय करने का एलान करने की बात कही। कांग्रेस और टीडीपी सांसदों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। पिछले सत्र में भी विपक्षी दलों ने कई बार मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था लेकिन सदन में एकबार भी ये प्रस्ताव सदन में रखा नहीं गया।
क्यों समाज का एक खास वर्ग चाहता है इसमें बदलाव
हालांकि इस सत्र में माना जा रहा है कि अगर कार्रवाई के दौरान हंगामा नहीं हुआ और सभी विपक्षी दल एक साथ रहे तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर इसपर मतदान करवाया जा सकता है। इसका संकेत पहले ही कांग्रेस और टीडीपी दे ही चुके है। कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि वो इस सत्र के दौरान सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है।
विपक्षी दल पहले भी कर चुके हैं अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने की वजह से टीडीपी पहले ही बीजेपी से नाराज है। टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने बजट सत्र में कई बार यह प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी। साथ ही कांग्रेस, टीआरएस, एनसीपी समेत कई अन्य दल भी बीते सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश कर चुके हैं।
टीडीपी की बढ़ती नाराजगी
टीडीपी ने बजट सत्र के दौरान कई बार आंध्र प्रदेश का विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। इसी के चलते बजट सत्र के दौरान कई बार संसद की कार्रवाई हंगामे की भेट चढ़ी थी। इसबार फिर टीडीपी अपनी मांगे उठा सकती है। इस बारे में जब टीडीपी के राज्यसभा नेता वाई एस चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी मांगे अभी पूरी नहीं हुई है ऐसे में शांत बैठने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने साफ कहा कि इस बार भी वो संसद में अपनी मांगे उठाने वाले है।
कांग्रेस भी पूरी तैयारी में
कांग्रेस ने सबसे पहले केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के संकेत दे दिए है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिनपर एकसाथ विचार विमर्श किया जा सकता है।