भोपाल 15 नवंबर 2021 । करोनाकाल में लंबे समय तक अनियंत्रित डायबिटीज (मधुमेह) से शरीर की नसें कमजोर होने लगती हैं। इसके प्रभाव में आंतों की नसें भी आने लगती हैं, जिससे आंतों की चाल बिगड़ जाती है। इसकी वजह से कब्ज, अपच, डायरिया, फैटी लिवर की समस्या होती है। भूख भी नहीं लगती है और वजन गिरने लगता है। यह खुलासा राष्ट्रीय डायबिटीज ( मधुमेह) नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ नरेश पुरोहित ने विश्व मधुमेह दिवस पर करते हुए बताया कि अगर लंबे समय से अनियंत्रित डायबिटीज है। जीवनशैली भी ठीक नहीं है। ऐसे में पाचन तंत्र से संबंधित जटिलताएं होने लगती हैं। नसें की कमजोरी के चलते खाने की थैली ठीक से काम नहीं करने पर खट्टी डकार, पेट फूलना, भारीपन, जी मिचलाना, पेट दर्द व उल्टी शुरू हो जाती है। इसी तरह बड़ी आंत की नस में कमजोरी से कब्ज तथा डायरिया की समस्या होती है।
डॉ पुरोहित ने बताया कि इस स्थिति को ही गैस्ट्रोपेरोशिस कहते हैं। इसी तरह अनियंत्रित मधुमेह की वजह से लिवर के अंदर फैट (चर्बी) जमा होने होने से फैटी लिवर की समस्या होती है। इसे नियंत्रित नहीं करने से सिरोसिस या कैंसर का खतरा हो सकता है।
उन्होने कहा कि पैनक्रियाज पाचन तंत्र का ही हिस्सा है। नसें कमजोर होने से इसमें संक्रमण तथा कार्य क्षमता प्रभावित हो जाती है। मधुमेह अनियंत्रित रहने से करोनाकाल में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे छोटी आंत में संक्रमण होने लगता है। इससे भी डायरिया या आंतों की टीबी की बीमारी भी हो सकती है।
इसका रखें ध्यान
डायबिटीज नियंत्रित रखें।
वजन भी नियंत्रित रखें।
मोटापा है तो शारीरिक श्रम करें।
जीवनशैली व खानपान में बदलाव करें।
-व्यायाम, रनिंग, जागिंग व स्वीमिंग करें