नई दिल्ली 26 जनवरी 2019 । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का आत्मविश्वास हिलोरें मार रहा है। नजारा बुद्धिजीवियों संग बातचीत के दौरान देखने को मिला, जब भुवनेश्वर में मीडिया के एक कार्यक्रम में भाग लेने आए राहुल लोगों से बार-बार आग्रह कर रहे थे कि उनसे सवालों की बौछार करिए। हलांकि जवाब में उनका पूरा फोकस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रहता था। वह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पीएम नरेंद्र मोदी को एक ही जैसा बताते और कहते कि दोनों तानाशाही से सरकार चला रहे हैं। यह भी कहते कि बीजेडी तो बीजेपी को सपोर्ट करती आई है। यही नहीं, जहां एक तरफ मोदी को सत्ता में आने से रोकने और विपक्षी एकता की बात पूरे दृढ़विश्वास के साथ कह रहे थे, वहीं अपनी बहन प्रियंका से तालमेल पर दिल खोलकर उन्होंने चर्चा की। तंज भरे लहजे में उन्होंने मोदी को श्रीमद्भगवतगीता पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने मोदी सरकार और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा और लोकतांत्रिक संस्थानों को बर्बाद करने का आरोप लगाया।
वरुण के कांग्रेस प्रवेश की अटकलों पर यह बोले
राहुल ने कहा कि चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी की चुनावी सभाओं के लिए देशव्यापी दौरा लगाया जाएगा। इसके लिए उनसे बातचीत की जाएगी। उन्हें कहां जाना और कहां नहीं जाना है, यह वह ही तय करेंगी। वरुण गांधी की कांग्रेस में ज्वाइनिंग पर चर्चा को टालते हुए कहा कि इस पर किसी भी तरह की चर्चा उन तक अभी नहीं पहुंची। राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा सरकार नहीं बना पाएंगे। विपक्ष बहुत मजबूत है और एकजुट भी है। मोदी को रोकना ही लक्ष्य है।
…मैं नरेंद्र मोदी से नफरत नहीं करता, लेकिन…
राहुल गांधी ने कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी मध्यम वर्ग के लिए क्या करना चाहती है। उन्होंने कहा कि एजुकेशन सिस्टम पर किसी की दादागिरी को खत्म करना जरूरी है, इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में भी किसी एक की दादागिरी खत्म करने की जरूरत है। मैं नरेंद्र मोदी से नफरत नहीं करता, मगर उनकी और मेरी विचारधारा अलग है। मैं उनसे लड़ता रहूंगा। राहुल ने कहा कि आप मुझसे कितनी भी नफरत करें, लेकिन मैं आपसे प्यार से ही बात करूंगा।
आरएसएस के इशारे पर संस्थाओं से खिलवाड़
एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा कि अभी देश में सिर्फ एक ही संस्थान है, जिसे आरएसएस कहते हैं। यह बीजेपी की मां है। यह देश के अन्य सभी संस्थानों पर भारी पड़ रहा है। कांग्रेस यह नहीं मानती कि संस्थान को स्वतंत्र नहीं छोडना चाहिए। हमें लगता है हर संस्थान की अपनी पहचान है और उसे इतनी स्वतंत्रता होनी चाहिए, जिससे वह देश और अपनी बेहतरी के लिए बेहतर काम कर पाए। पर क्या बताएं बीजेपी का माइंडसेट अलग है। वे सभी पर अपनी दादागिरी साबित करना चाहते हैं। वह लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ जो हो रहा है, वह सब आरएसएस के इशारे पर हो रहा है।